रविवार को रात नौ बजे से नौ मिनट तक घरेलू बिजली बंद रखने की पीएम नरेंद्र मोदी की अपील बिजली अभियंताओं के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। प्रदेश में सभी घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली बंद करने से बिजली की मांग में 3000 मेगावाट से ज्यादा की कमी होने की संभावना है। इससे ग्रिड की फ्रीक्वेंसी हाई हो सकती है। ऐसे में ग्रिड को सुरक्षित रखने की कवायद शुरू कर दी गई है।
ग्रिड को सुरक्षित रखने के लिए 5 अप्रैल को रात 8 बजे से ही आपात कटौती शुरू करने की योजना बनाई गई है। साथ ही सभी ट्रांसमिशन उपकेंद्रों पर अधीक्षण अभियंता से लेकर अवर अभियंताओं को तकनीकी स्टाफ के साथ मुस्तैद रहने को कहा गया है। यही नहीं बिजली की मांग घटने की संभावना को देखते हुए बिजलीघरों को भी आवश्यकतानुसार उत्पादन में कमी करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
दरअसल, प्रदेश में जितनी बिजली का उत्पादन होता है, उतनी ही आपूर्ति भी होनी चाहिए, तभी सामान्य रूप से ग्रिड का संचालन हो सकता है। उत्पादन कम और मांग ज्यादा होने पर ग्रिड की फ्रीक्वेंसी कम (लो) तथा उत्पादन ज्यादा और मांग कम होने पर फ्रीक्वेंसी हाई हो सकती है। इन दोनों स्थितियों में ही ग्रिड के फेल होने का खतरा रहता है।
इस समय औद्योगिक, वाणिज्यिक व कृषि लोड नहीं है। शाम के वक्त बिजली की अधिकतम मांग 14000 मेगावाट से ज्यादा है। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) के अभियंताओं का कहना है कि एकाएक लोड में 3000 मेगावाट की कमी होने से ग्रिड की फ्रीक्वेंसी हाई हो सकती है, जिससे ग्रिड के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
पीएम की अपील के तुरंत बाद एसएलडीसी व यूपी पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन 5 अप्रैल को रात नौ बजे बिजली की बंदी से ग्रिड पर आने वाले संकट से निपटने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। एसएसडीसी के निदेशक राम स्वारथ ने शुक्रवार को ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन के निदेशक (ऑपरेशन), राज्य विद्युत उत्पादन निगम के निदेशक (तकनीकी) व पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक (वितरण) को पत्र भेजकर अपने-अपने स्तर से जरूरी उपाय करने का अनुरोध किया है ताकि ग्रिड को सुरक्षित रखा जा सके।
पत्र में कहा गया है कि 5 अप्रैल को प्रदेश में रात 8 बजे से नौ बजे के बीच अलग-अलग क्षेत्रों में बारी-बारी से आपात कटौती शुरू की जाएगी ताकि एक साथ लोड कम न हो।